1857 Ki Kranti Ke Neta in Hindi [PDF]।1857 की क्रान्ति के प्रमुख नेता।

 



1857 की क्रान्ति के प्रमुख नेता। 🎯
प्रथम स्वाधीनता-संग्राम के प्रमुख नेता।

MAJOR LEADERS OF THE REVOLT OF 1857.🎯

मंगल पाण्डे 
Mangal Pandey -
मंगल पाण्डे बैरकपुर की ब्रिटिश छावनी के एक बहादुर सैनिक थे। 16 अप्रैल, 1857 ई. को परेड करते समय उन्होंने गाय और सुअर की चर्बी से युक्त कारतूस का प्रयोग करने से साफ इनकार कर दिया। अतः अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें हथियार डाल देने का आदेश दिया, तो उन्होंने उत्तेजित होकर दो अंग्रेज अधिकारियों को गोलियों से छलनी कर दिया। बाद में वीर मंगल पांडे को बंदी बनाकर 8 अप्रैल,1857 ई. को फांसी दे दी गई। मंगल पांडे का यह बलिदान 1857 ई. की क्रांति का तात्कालिक कारण बन गया।

नाना साहब
Nana Sahab
-
नाना साहब मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। इनका वास्तविक नाम धुन्धु पंत था। अंग्रेजों ने उन्हें पेंशन देकर बिठूर भेज दिया था। कालांतर में लॉर्ड डलहौजी ने उनकी पेंशन बंद कर दी जिससे नाना साहब अंग्रेजों के विरोधी हो गए और 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कानपुर को अंग्रेजों से छीन लिया।

बहादुरशाह जफर
Bahadur Shah Zafar -
बहादुर शाह जफर भारत के अंतिम मुगल सम्राट थे। यद्यपि उनकी शक्ति क्षीण हो चुकी थी, फिर भी जब मई,1857 ई. को मेरठ के क्रांतिकारियों ने बहादुरशाह को अपना नेता चुना और क्रांति की बागडोर उन्हें सौंप दी तो उन्होंने वीरता पूर्वक अंग्रेजों से लोहा लिया और 3 माह तक दिल्ली को अंग्रेजी प्रभाव से मुक्त रखा, किंतु अंग्रेजों की बढ़ती हुई शक्ति के सामने अंततः उन्हें पराजित होकर बंदी बनाना पड़ा।1862 ई. में उनकी मृत्यु हो गई।

कुंवर सिंह
Kunwar Singh -
कुंवर सिंह जगदीशपुर (बिहार) के राजा थे। प्रथम स्वाधीनता आंदोलन को कुंवर सिंह ने भरपूर सहयोग दिया तथा स्वयं अनेक स्थानों पर अंग्रेजी सेना से जमकर लोहा लिया और अंग्रेजों को पराजित किया। कुंवर सिंह पक्के राष्ट्रभक्त थे। वे आजीवन राष्ट्र-सेवा में लगे रहे।

तात्या टोपे 
Tatya Tope -
तात्या टोपे महान राष्ट्रभक्त, वीर सेनानी तथा नानासाहेब के अभिन्न सहयोगी थे। प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में इन्होंने कई स्थानों पर अंग्रेजी सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचाया और पराजित भी किया। अंत में विश्वासघात करके अंग्रेज भारत माता के इस वीर सेनानी को बंदी बनाने में सफल हुए। तत्पश्चात 1859 ई. में इन्हें मृत्युदंड देकर समाप्त कर दिया गया।

रानी अवंती बाई
Rani Avantibai -
रानी अवंती बाई मध्यपदेश की एक छोटी रियासत रामगढ़ की रानी एवं वीरांगना नारी थी। रानी ने प्रथम-स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजों से डटकर मोर्चा लिया और अंत में अपनी रियासत की रक्षा एवं राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

रानी लक्ष्मी बाई
Rani Lakshmi Bai -
रानी लक्ष्मीबाई झाँसी के राजा गंगाधर राव की पत्नी थी। 1853 ई. राजा की मृत्यु के बाद में दामोदर राव नामक एक बालक को दत्तक पुत्र के रूप में लेकर स्वयं झांसी का राजकाज देखने लगी। परंतु लॉर्ड डलहौजी ने गोद-निषेध नीति के तहत झांसी को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। रानी ने इसे अस्वीकार कर दिया और अंग्रेजों से संघर्ष करने के लिए कमर कस ली। काफी संघर्ष के बाद भी रानी ने हार नहीं मानी और अंत में देश की रक्षा में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई।

बेगम हजरत महल
Begum Hazrat Mahal -
बेगम हजरत महल एक वीर, साहसी एवं निर्भीक महिला थी। इन्होंने प्रथम स्वतंत्रता-संग्राम के समय लखनऊ के क्रांतिकारियों का न केवल नेतृत्व किया और  कुछ समय के लिए लखनऊ को अंग्रेजों की सत्ता से मुक्त कर दिया। कालांतर में अंग्रेजों की बढ़ती शक्ति एवं सेना का सामना न कर पाने के कारण वे संभवत: नेपाल चली गई और अंत में उनकी वहीं मृत्यु हो गई। भारतीय स्वतंत्रता-आंदोलन के क्रांतिकारियों में इनका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।


DOWNLOAD PDF 📚
CLICK ME 🔗

You May Like