भारत में सिंचाई के पारंपरिक साधन | Traditional means of irrigation in India |

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।भारत में सिंचाई के पारंपरिक साधन।Traditional means of irrigation in India

भारतीय अर्थव्यवस्था प्रमुख रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि उत्पादन में वृद्धि करें और उसमें स्थायित्व लाना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है। सौभाग्यवश हमारे देश में वर्ष भर फसलें उगाने के लिए अनुकूल जलवायु उपलब्ध है, परंतु मानसूनी वर्षा होने के कारण यहां वर्षा की कमी अनियमितता एवं अनिश्चितता रहती है। भारत में वर्षा का वितरण बड़ा ही अनियमित, अनिश्चित एवं आसमान है। अतः सूखी एवं प्यासी धरती को सिंचाई द्वारा है हरा-भरा बनाया जा सकता है। कृत्रिम ढंग से पौधों(खेतों) तक जल पहुंचाने की प्रक्रिया को सिंचाई कहते हैं।

भारत की भौतिक संरचना एवं जलवायु दशाओं के कारण इसके विभिन्न क्षेत्रों के कृषि विकास में पर्याप्त विभिन्नता पाई जाती है। भारतीय किसको द्वारा सिंचाई के लिए निम्नलिखित साधनों को अपनाया जाता है।

1. कुओं द्वारा सिंचाई (irrigation by wells)

कुएँ भारत के प्राचीन एवं महत्वपूर्ण पारंपरिक सिंचाई के साधन हैं। वर्षा का जो जल भूमी द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, उस भूमिगत जल का उपयोग सिंचाई के लिए कुएँ के माध्यम से किया जाता है। कुआं देश में सिंचाई का सबसे बड़ा साधन है। कुएँ प्रायः उन्हीं क्षेत्रों में खोदे जाते हैं, जहां भूमि समतल एवं कोमल होती है तथा जल का स्तर भी ऊंचा होता है।
भारत के जिन क्षेत्रों में खेत बहुत छोटे छोटे हैं, कृषक निर्धन तथा साधन विहीन है, वहां पर कुएँ ही सिंचाई के प्रमुख साधन हैं। सिंचाई के लिए निम्न प्रकार के कुएँ प्रयुक्त किए जाते हैं -

(क) कच्चे कुएँ (Raw well)

निर्धन, सीमांत एवं साधन विहीन कृषक अपने खेतों पर चिकनी एवं बलुई मिट्टी में छोटे छोटे कुएँ खोद लेते हैं।ये कुएँ कच्चे होते हैं तथा इनकी जल क्षमता भी कम होती है। इनसे अधिकाधिक 1 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है। इनसे जल निकालने के लिए चरस, रहट या ढेंकली आदि सिंचन साधनों का प्रयोग किया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी बिहार में इन कुओं की प्रधानता है।

(ख) पक्के कुएँ 

साधन संपन्न एवं बड़े कृषक पक्की ईंट, लोहा,सीमेंट तथा कंक्रीट आदि से पक्के कुएं निर्मित कराते हैं। ये कुएँ अपेक्षाकृत स्थाई होते हैं। समानयत: इनकी गहराई 6 से 12 मीटर तक होती है। इन कुओं में से जल निकालने में भी ढेंकली,चरस एवं रहट आदि का प्रयोग किया जाता है।पक्के कुएँ मुख्यत: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश राज्य में निर्मित किए जाते हैं। सर्वाधिक पक्के कुएँ उत्तर प्रदेश राज्य में है, क्योंकि उत्तरी भारत का धरातल पक्के कुओं के निर्माण के लिए अधिक अनुकूल है।

(ग) नलकूप (tube well)

पक्के कुओं में गहराई से जल निकालने के लिए लोहे या जस्ते के नलो को भूमी में गाड़ दिया जाता है। तथा डीजल इंजन या विद्युत चलित मोटर की सहायता से जल भूतल पर खींचा जाता है। विद्युत चलित इन कुओं को बिजली का कुआं या नलकूप कहते हैं। उत्तरी भारत में भौम जल स्तर ऊंचा होने और जलोढ़ मिट्टी में भूमिगत जल का पर्याप्त भंडार होने के कारण कुएँ एवं नलकूप/पम्पिंग सैट सिंचाई के प्रमुख साधन हैं। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा,बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में नलकूप, सिंचाई के प्रमुख साधन है।

2 तालाबो द्वारा सिंचाई (Irrigation through ponds)

भारत के प्रायद्वीपीय भाग में अधिकांश सिंचाई तालाबों द्वारा की जाती है। यहां का धरातल असमतल एवं कठोर है। अप्रवेश्य शैलों में वर्षा का अतिरिक्त जल छोटे बड़े गड्ढों में एकत्र कर लिया जाता है, जिसे सिंचाई के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इन क्षेत्रों में सिंचाई के अन्य साधन अभी सफल नहीं हो पाए हैं। तालाब प्राकृतिक एवं कृतिम दोनों ही प्रकार के होते हैं। जब वर्षा का जल किसी छोटे या बड़े गड्ढे में एकत्र हो जाता है तो उसे प्राकृतिक तालाब कहते हैं। जिन क्षेत्रों में वर्षा के जल को गड्ढे खोदकर एकत्र किया जाता है, उन्हें कृत्रिम तालाब कहते हैं।

भारत में तालाबों द्वारा सिंचाई का सबसे अधिक प्रचलन दक्षिणी भारत में है। तालाबों द्वारा सिंचाई तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में की जाती है।

यद्यपि तालाबों के निर्माण में अधिक व्यय नहीं करना पड़ता, तथापि इनके द्वारा सिंचाई अनवरत वर्षा के जल के एकत्र होने पर ही निर्भर करती है। वर्षा कम होने पर तालाबों द्वारा सिंचाई संभव नहीं हो पाती है। दूसरे, वर्षा का जल अपने साथ मिट्टी आदि की अवसाद भी बहा कर लाता है जिससे तालाब मैं धीरे-धीरे अवसाद भर जाती है। अतः इन्हें बार-बार साफ करने में भी पर्याप्त समय एवं धन व्यय करना पड़ता है। यही कारण है कि तालाबों द्वारा सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत धीरे धीरे घटता जा रहा है।


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IMPORTANT QNA - 

प्रश्न - भारत में पारंपरिक सिंचाई के कौन-कौन से साधन है?

उत्तर - भारत में प्राकृतिक सिंचाई के कई साधन है जैसे , कुओं द्वारा सिंचाई, नलकूपों द्वारा सिंचाई और तालाबो द्वारा सिंचाई।

प्रश्न - भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में अधिकतर सिंचाई किस माध्यम से की जाती है।

भारत के प्रायद्वीप क्षेत्रों में अधिकतर सिंचाई तालाबों के माध्यम से की जाती है। क्योंकि यहां का धरातल समतल एवं कठोर है।

प्रश्न - भारत में तालाब द्वारा सिंचाई के सबसे अधिक प्रचलन कहां है?

उत्तर - भारत में सबसे अधिक तालाबो द्वारा सिंचाई का प्रचलन दक्षिणी भारत में है।