1857 की क्रांति | 1857 की क्रांति के कारण |[PDF] Gk ANYWHERE
1857 की क्रांति
REVOLT OF 1857
"1857 की क्रांति एक सैनिक क्रांति से कहीं अधिक थी क्योंकि इसने तीव्र गति से फैलती हुई एक लोकप्रिय क्रांति तथा प्रथम स्वाधीनता-संग्राम का रूप धारण कर लिया था।"
अंग्रेजी कुशासन का भारत के सभी वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में दो प्रमुख कार्य थे - साम्राज्य बढ़ाना और भारत का व्यापारिक और आर्थिक शोषण करना। अंग्रेजों की धन-लोलुपता की कोई सीमा नहीं थी। ब्रिटिश शासकों की अत्याचार एवं दमनकारी नीति के विरुद्ध भारतीयों का रोष समय-समय पर भारत के भिन्न-भिन्न भागों में सैनिक संघर्ष अथवा जन विद्रोह के रूप में प्रकट होता रहा था, जैसे 1806 ई में वेल्लौर में, 1824 ई में बैरकपुर में 1842 ई में फिरोजपुर में संघर्ष हुए। इसके अतिरिक्त 1816 ई में बरेली उपद्रव, 1831-33 ई का कोल संघर्ष ,1848 में काँगड़ा, जसवार और दातारपुर के राजाओं का संघर्ष,1855-56 ई में संथालों का संघर्ष। ये संघर्ष अनेक राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक कारणों से हुए थे। इसी तरह के विद्रोह की ज्वाला 1857 ई में धधक उठी जिसने अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ तक को हिला दिया। इसीलिए इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा गया।
"नि:संदेह 1857 ई का संघर्ष भारतीय इतिहास की एक अभूतपूर्व युगांतकारी घटना है। इस क्रांति के स्वरूप के विषय में मुख्य रूप से दो भिन्न मत हैं। अंग्रेजों ने, जो साम्राज्यवाद के स्वाभाविक पक्षपाती थे, इसे केवल सैनिकों के संघर्ष की संज्ञा दी है, जबकि भारतीयों ने इसे निर्विवाद रूप से प्रथम-स्वाधीनता संग्राम और प्रथम राष्ट्रीय-आंदोलन बताया है।"
1857 की क्रांति के कारण
Causes of the Revolt of 1857
1857 की क्रांति का कारण कोई एक विशेष घटना मात्र नहीं थी, बल्कि इसके संघर्ष के कारण अधिक गूढ़ थे और वे जून,1757 ई के प्लासी के युद्ध से 6 अप्रैल,1857 को मंगल पांडे द्वारा की गई अंग्रेज अधिकारी की हत्या तक के अंग्रेजी शासन के 100 वर्ष के इतिहास में निहित थे। चर्बी वाले कारतूस और सैनिकों का संघर्ष तो केवल एक चिंगारी मात्र थी, जिसने उन समस्त विस्फोटक पदार्थों में जो राजनीतिक,सामाजिक,धार्मिक और आर्थिक असंतोष के कारणों से एकत्रित हुए थे, आग लगा दी। परिणामस्वरूप 1857 ई में असंतोष की ज्वाला ने विकराल रूप धारण कर लिया।
1857 की क्रांति के राजनीतिक कारणPolitical Causes of the Revolt of 1857
1.राज्यों को हड़पने की नीति
policy of annexation of states -
1857 की क्रांति का प्रमुख कारण लॉर्ड डलहौजी की राज्य अपहरण नीति थी। इस नीति के द्वारा डलहौजी नें संतानहीन भारतीय राजाओं पर उत्तराधिकार निषेध एवं गोद निषेध नियम लागू कर उनके राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया। परिणाम स्वरूप देशी राजाओं में अत्यधिक असंतोष उत्पन्न हो गया और वह अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष छेड़ने को तत्पर हो गए। इनमें सातारा, नागपुर तथा झांसी के राज्य प्रमुख थे।
2. कुशासन के आधार पर राज्यों का अपहरण
Kidnapping of states on grounds of misgovernance -
लॉर्ड डलहौजी ने कुशासन को आधार बनाकर हैदराबाद के निजाम तथा अवध के नवाब वाजिद अली शाह के विरुद्ध कार्यवाही की और उनके राज्यों का अपहरण कर लिया।
3. पेंशन तथा पदों की समाप्ति
Pension and termination of posts -
लॉर्ड डलहौजी ने पेंशन तथा पदवियों को छीनने का प्रयास किया। उसकी इस नीति के शिकार पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र नाना साहब हुए। फलत: नाना साहब ने विद्रोह का सहारा लिया।
4. सरकारी नौकरियों में भेद-भाव
Discrimination in government jobs -
सरकारी नौकरियों में उच्च पदों पर केवल ब्रिटिश नागरिक ही नियुक्त किए जाते थे। भारतीयों को उच्च सेवा करने का अधिकार नहीं था। फलत: भारतीय बुद्धिजीवियों के मन में क्रांति की ज्वाला फूट पड़ी।
5. भारतीयों में अंग्रेजी शासन के प्रति अविश्वास
Indians' distrust of British rule -
कंपनी के अधिकारी कभी भी भारतीय जनता का विश्वास नहीं प्राप्त कर सके। वे सदैव विदेशी बने रहे। फलत: भारतीय जनता के साथ अंग्रेजों का विश्वास कभी भी स्थापित ना हो सका, जो कालांतर में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष का कारण बना।
1857 की क्रांति का आर्थिक कारणEconomic Cause of the Revolt of 1857
1. अंग्रेजों की आर्थिक शोषण की नीति
British policy of economic exploitation -
अंग्रेजों की आर्थिक नीतियां भारतीय व्यापार और उद्योगों के विरुद्ध थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनीतिक शक्ति के प्रयोग के फलस्वरूप भारतीय हस्तशिल्प और व्यापार का सर्वनाश हो गया। अंग्रेजों ने भारतीय सूती कपड़े व अन्य उद्योगों से उत्पादित वस्तुओं पर भारी कर लगाकर भारतीय व्यापारियों की आर्थिक स्थिति को चौपट कर दिया और धीरे-धीरे अंग्रेजी उत्पादों को भारतीय मंडियों में भर दिया। परिणामस्वरूप भारत का व्यापारी वर्ग क्षुब्द हो गया।
2. दोषपूर्ण भूमि-व्यवस्था
Faulty land system -
अंग्रेजों की भूमि कर व्यवस्था तो बहुत ही अप्रिय एवं दोषपूर्ण थी। उन्होंने जमींदारों को भूमि का स्थाई स्वामी बना दिया जो किसानों से मनमाना भू-राजस्व वसूल करने लगा। अब भारतीय किसान अपनी जीविका चलाने में अक्षम हो गया। परिणामस्वरूप भारतीय समाज का सामान्य एवं बहुसंख्यक वर्ग भी अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने को तैयार हो गया।
3. भारतीय उद्योगों का विनाश
Destruction of Indian industries -
अंग्रेजों की आर्थिक साम्राज्यवाद की नीतियों ने भारत के उद्योगों को चौपट कर दिया। यहां के हस्तशिल्पों का पतन होने लगा। भारत के कारीगरों का बना माल मशीनों से बने माल के सामने टिक न सका।
4. बेरोजगारी की समस्या
Unemployment problem -
अंग्रेजों की इसी आर्थिक नीति के कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई। वस्त्र-उद्योग में लगे जुलाहे पूर्णता बेकार हो गए।
1857 की क्रांति के धार्मिक कारणReligious Causes of the Revolt of 1857
1. ईसाई धर्म का प्रचार
अंग्रेजों ने भारतीयों का धार्मिक उत्पीड़न किया। अंग्रेज अधिकारी मेजर एडवर्ड्ज ने स्पष्ट रूप से कहा था, "भारत पर हमारे अधिकार का अंतिम उद्देश्य पूरे देश को ईसाई बनाना है।" अंग्रेज अधिकारी भारतीय सैनिकों को ईसाई बनाने के लिए प्रेरित करते थे। अंग्रेजों की यह धर्मांतरण की नीति उनके विरुद्ध संघर्ष का कारण बन गई।
2. गोद-निषेध की नीति धर्म-विरुद्ध -
लॉर्ड डलहौजी ने गोद लेने(दत्तक पुत्र) की प्रथा का अंत कर भारतीयों की धार्मिक भावनाओं एवं मान्यताओं का तिरस्कार किया, जिससे भारतीय अंग्रेजों के विरुद्ध होते चले गए।
3. धार्मिक भेदभाव की नीति
Policy of religious discrimination -
सरकार की ओर से ईसाई धर्म स्वीकार करने वालों को आर्थिक सहायता दी जाने लगी तथा उन्हें सरकारी नौकरी भी आसानी से प्राप्त होने लगी। इससे भी भारतीय समाज में अंग्रेजों के प्रति प्रतिशोध की भावना पैदा हो गई।
1857 की क्रांति के सामाजिक कारणSocial Causes of the Revolt of 1857
1. भारतीयों के प्रति तिरस्कार की नीति
Policy of contempt for Indians -
अंग्रेज भारतीयों को हीन समझते थे तथा उनका सामाजिक तिरस्कार करते थे। भारतीयों को सामाजिक अपमान असह्य था। इससे भी भारतीय अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध आंदोलित हो गए।
2. भारतीयों के साथ अपमानजनक व्यवहार
Degrading treatment of Indians -
यूरोपीय अधिकारी वर्ग भारतीयों के प्रति बहुत कठोर तथा असहनशील थे। वह भारतीयों को काले तथा सूअर की संज्ञा देते थे। अंग्रेज प्रत्येक अवसर पर भारतीयों का अपमान करने से नहीं चूकते थे। अंग्रेजों के अपमानजनक व्यवहार को भारतीय स्वाभिमान बरदास न कर सका और अपने अपमान के प्रतिशोध में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए कमर कसकर तैयार हो गया।
1857 की क्रांति के सैनिक कारणMilitary Causes of the Revolt of 1857
1. उच्च पदों से वंचित भारतीय
Indians deprived of high positions -
सेना में ऊंचा-से-ऊंचा पद जो किसी भारतीय को मिल सकता था, वह सूबेदार का था जिसमें केवल 60 या 70 रुपए मासिक वेतन मिलता था। इसमें पद-वृद्धि के अवसर बहुत ही कम थे। समान पदों पर कार्य करते हुए भी भारतीय सैनिकों को वे सुख-सुविधाएं नहीं प्राप्त होती थी, जो अंग्रेज सैनिकों को प्रदान की जाती थी। भेद-भाव की इस नीति ने सैनिकों में क्रांति की भावना भर दी।
2. चर्बी युक्त कारतूसों का प्रयोग
Use of greased cartridges
1856 में अंग्रेजी सरकार ने पुरानी लोहे वाली बंदूक के स्थान पर एक नवीन राइफल जो अधिक अच्छी थी, का प्रयोग करने का निश्चय किया। इस नई राइफल में कारतूस के ऊपरी भाग को मुंह से काटना पड़ता था। जनवरी,1857 ई में बंगाल सेना में यह बात फैल गई की नई राइफल के कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी है। सैनिकों को विश्वास हो गया कि चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग उन्हें धर्म-भ्रष्ट करने का एक निश्चित षड्यंत्र है। परिणामस्वरूप सैनिकों में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी।
3. वेतन में असमानता
Pay disparity -
अंग्रेज सिपाहियों की अपेक्षा भारतीय सिपाहियों को कम वेतन मिलता था। यह असमानता भारतीय सैनिकों के लिए असह्य हो गई।
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IMPORTANT QNA
प्रश्न 1- अंग्रेजी कुशासन का भारत के किन वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा?
उत्तर - अंग्रेजी कुशासन का भारत के सभी वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 2- वेल्लौर में कब संघर्ष हुवा था?
उत्तर - 1806 ई में।
प्रश्न 3- 1857 की क्रांति के राजनीतिक कारण कौन-कौन से हैं?
राज्यों को हड़पने की नीति,कुशासन के आधार पर राज्यों का अपहरण,पेंशन तथा पदों की समाप्ति,सरकारी नौकरियों में भेद-भाव , भारतीयों में अंग्रेजी शासन के प्रति अविश्वास।
अंग्रेज सभी भारतीयों का किस धर्म मे धर्म परिवर्तन करना चाहते थे?
उत्तर - ईसाई धर्म में।
प्रश्न 5- अंग्रेज अधिकारी मेजर एडवर्ड्ज ने क्या कहा था?
उत्तर -भारत पर हमारे अधिकार का अंतिम उद्देश्य पूरे देश को ईसाई बनाना है।
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