भारत में मराठा साम्राज्यMARATHA Empire in India -
भारतवर्ष में मराठा साम्राज्य की स्थापना का श्रेय शाहजी भोंसले तथा उनके पुत्र शिवाजी को दिया जाता है। वस्तुतः मराठा साम्राज्य की नींव छत्रपति शिवाजी द्वारा 1674 ई. में रखी गई थी। मराठा साम्राज्य एक भारतीय साम्राज्यवादी शक्ति थी जो 1674 ई. से 1818 ई. तक अस्तित्व में रही। मराठा साम्राज्य हिंदू तथा मुसलमान शासन एवं सैन्य व्यवस्था का मिश्रित रूप था, इसमें समस्त शक्ति राजा के हाथ में रहती थी। 17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य की विघटन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही भारत में स्वतंत्र राज्यों की स्थापना शुरू हो गई थी। नए स्वतंत्र राज्यों में मराठा का उद्भव एक महत्वपूर्ण घटना थी। एक शक्तिशाली राज्य के रूप में मराठों के उत्कर्ष में अनेक कारवों का योगदान रहा, जिनमें भौगोलिक परिस्थिति, औरंगजेब की हिंदू विरोधी नीतियाँ और मराठा सन्त कवियों की प्रेरणा प्रमुख रूप से शामिल थे।प्रारंभ में मराठा, सिपहसालार और मनसबदार के रूप में बीजापुर और अहमदनगर राज्यों में नौकरी करते थे।
मराठा समुदाय
MARATHA Community -
मराठा लोगों को महरट्टा या महरट्टी भी कहा जाता है। मराठी भारत के प्रमुख लोग हैं तथा भारत के इतिहास में क्षेत्र रक्षक योद्धा और हिंदू धर्म के समर्थक के रूप में विख्यात हैं। इनका गृह क्षेत्र आज का मराठी भाषा क्षेत्र महाराष्ट्र राज्य है। मराठा शब्द का तीन मिलते-जलते अर्थों में उपयोग होता है- मराठी भाषी क्षेत्र में इससे एकमात्र प्रभुत्वशाली मराठा जाति या मराठों और कुम्भी जाति के एक समूह का बोध होता है। मराठा जाति के लोग मुख्यत: किसान,जमींदार और सैनिक थे, कुछ मराठों और कुम्भीयों ने कभी-कभी क्षत्रीय होने का दावा भी किया और इसकी पुष्टि वे अपने कुल-नाम व वंशावली को महाकाव्यों के नायकों, उत्तर के राजपूत वंशो या पूर्व मध्यकाल के ऐतिहासिक राजवंशों से जोड़कर करते हैं। जब मुग़ल दक्कन की ओर बढ़ रहे थे तब अहमदनगर तथा बीजापुर में मराठे, प्रशासन तथा सैनिक सेवाओं में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त थे तथा राज्य के कामकाज में उनके प्रभाव और शक्ति में बढ़ोतरी हुई।
मराठा शासन व्यवस्था
Maratha ruling system -
मराठा शासन(Maratha Ruling System) हिंदू तथा मुसलमान शासन और सैन्य व्यवस्था का मिश्रित रूप था। मराठा शासन में समस्त राज्य शक्ति राजा के हाथ में रहती थी। वह अष्टप्रधानों की सहायता से शासन करता था जिनकी नियुक्ति स्वयं राजा द्वारा की जाती थी।अष्टप्रधानो के नायबो की नियुक्ति भी राजा द्वारा ही की जाती थी। मालगुजारी की वसूली का कार्य पटेलो के हाथों में था। भूमि की उपज का एक-तिहाई भाग मालगुजारी के रूप में वसूल किया जाता था। 'अष्टप्रधान' व्यवस्था छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। यह शासन कार्य में सहायता के लिए मंत्रियों की एक परिषद थी, यह मंत्री 'सचिव' के रूप में कार्य करते थे।ये प्रत्यक्ष रूप से ना तो कोई निर्णय ले सकते थे, और न ही नीति निर्धारित कर सकते थे, उनकी भूमिका मात्र परामर्शकारी होती थी। अष्टप्रधान का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।
1. पेशवा (Peshava) -
यह राज्य के प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था की देख-रेख करता था, तथा राजा की अनुपस्थिति में राज्य की बागडोर संभालता था।
2. सेनापति (सर-ए-नौबत) -
इसका मुख्य कारण सेना में सैनिकों की भर्ती करना, संगठन एवं अनुशासन और साथ ही युद्ध क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती आदि करना था।
3. मजूमदार (अमात्य) -
अमात्य राज्य के आय-व्यय का लेखा-जोखा तैयार करके उस पर हस्ताक्षर करता था।
4. वाकयानवीस (Waakyaanvees)
यह सूचना, गुप्तचर एवं संधि विग्रह के विभागों का अध्यक्ष होता था और घरेलू मामलों की भी देखरेख रखता था।
5. शुरूनवीस (चिटनिस) -
राजकीय पत्रों को पढ़कर उनकी भाषा-शैली को देखना, परगनों के हिसाब-किताब की जांच करना इसके प्रमुख कार्य थे।
6. दबीर (सुमन्त) -
यह एक तरह का विदेश मंत्री था। इसका मुख्य कार्य विदेशों से आए राजदूतों का स्वागत करना था तथा विदेशों से संबंधित संधि विग्रह की कार्यवाहियों में राजा से सलाह और मशविरा आदि प्राप्त करना था।
7. सदर (पंडितराव) -
इसका मुख्य कार्य धार्मिक कार्यों के लिए तिथि को निर्धारित करना, गलत काम करने एवं धर्म को भ्रष्ट करने वालों के लिए दंड की व्यवस्था करना, ब्राह्मणों में दान को बटवाना एवं प्रजा के आचरण को सुधारना आदि था। इसे 'दानाध्यक्ष' भी कहा जाता था।
8. न्यायाधीश (judge) -
इसके पास सैनिक व सैनिक तथा सभी प्रकार के मुकदमों को सुनने एवं निर्णय करने का अधिकार होता था।
प्रमुख मराठा शासक
Major Maratha Rulers -
मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी प्रमुख मराठा शासक थे। इसके अलावा 'मराठा महासंघ' के सूत्रपात करने वाले पेशवा बाजीराव प्रथम भी एक कुशल मराठा शासक थे।
मराठा शासकों का संक्षिप्त विवरण निम्न है -
छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji)
शिवाजी राजे भोंसले का जन्म 1627 ई. में पुणे के उत्तर में स्थित जुन्नार नगर के समीप शिवनेर नामक स्थान पर हुआ था। इनकी माता का नाम जीजाबाई तथा पिता का नाम शाहजी भोंसले था। शिवनेरी देवी के नाम पर इनको शिवाजी नाम दिया गया। शिवाजी के संरक्षक और शिक्षक कोंडदेव तथा समर्थ गुरु रामदास थे। शिवाजी ने कई वर्षों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया था। औरंगजेब ने शिवाजी और उनके पुत्र को कैद कर के जयपुर भवन (आगरा) में रखा था परंतु वे चतुराई से मिठाई के टोकरे में बैठकर फरार हो गए थे। शिवाजी का 1674 ई. में रायगढ़ के किले में 'छत्रपति' की उपाधि के साथ राज्याभिषेक किया गया। शिवाजी ने एक स्वतंत्र हिंदू राज्य की स्थापना करके 'हिंदू धर्मोद्वारक' और 'गैर ब्राह्मण प्रतिपालक' जैसी उपाधि धारण की थी। शिवाजी की मृत्यु 1680 ई. में हुई।
बालाजी विश्वनाथ (Bala Ji Vishwanath)
कोंकण के 'चित्तयावन वंश' के ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ (1660-1720 ई.) को मराठा साम्राज्य का दूसरा संस्थापक माना जाता है। एक निर्धन परिवार में जन्मे बालाजी विश्वनाथ को शाहू के सेनापति धनाजी जाधव द्वारा 1708 ई. में कारकून (राजस्व का क्लर्क)नियुक्त किया गया था। धनाजी जाधव की मृत्यु के बाद बालाजी विश्वनाथ को शाहू की सेवा में आने का अवसर प्राप्त हुआ और 1712 ई.में उसे 'सेनाकर्ते' की उपाधि दी गई। शीघ्र ही साहू ने उसके द्वारा की गई बहुमूल्य सेवाओं को स्वीकार किया और 1713 ई. में 'पेशवा' नियुक्त किया गया। बालाजी विश्वनाथ की सबसे विशिष्ट उपलब्धि 1719 ई. में मुगल शासक की ओर से सैयद हुसैन अली द्वारा मराठों से की गई संधि थी। इस संधि को सर रिचर्ड टेंपल ने मराठा साम्राज्य का मैग्नाकार्टा की संज्ञा दी थी।
बाजीराव प्रथम (Bajirao Pratham)
बाजीराव प्रथम का जेष्ठ पुत्र बालाजी बाजीराव (1721-1761 ई.) अपने पिता की मृत्यु के बाद पेशवा बना था। बालाजी बाजीराव ने मराठा शक्ति का उत्तर तथा दक्षिण भारत में विस्तार किया। बालाजी ने मालवा तथा बुंदेलखंड में मराठों के अधिकार को बरकरार रखते हुए तंजौर प्रदेश को भी जीता। बालाजी बाजीराव ने हैदराबाद के निजाम को युद्ध में पराजित कर 1752 ई. इसमें में 'भलकी की संधि' की जिसके तहत बरार का आधा भाग मराठों को दे दिया गया। बालाजी विश्वनाथ के समय में ही पेशवा का पद पैतृक बन गया था।1750 ई. की 'संगोली सन्धि' के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए, इससे बालाजी बाजीराव को मराठा राज्य के विस्तार में काफी ज्यादा सहयोग मिला।बालाजी बाजीराव के समय में ही अहमद शाह अब्दाली(Ahmad-Shah-Abdali) का आक्रमण हुआ था, जिसमें मराठों को बुरी पराजय झेलनी पड़ी थी। इसे पानीपत का तृतीय युद्ध कहा जाता है।
ताराबाई (Tarabai) -
ताराबाई भोसले (1675-1761 ई.) शिवाजी प्रथम के द्वितीय पुत्र राजाराम की पत्नी थी।राजाराम की मृत्यु के बाद ताराबाई 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी तृतीय का राज्याभिषेक कराकर मराठा साम्राज्य की वास्तविक संरक्षिका बनी थी।अद्वितीय उत्साह वाली महिला ताराबाई के शासन के दौरान मुगलों ने 1700 ई. में पन्हाला, 1702 ई. में विशालगढ़ और 1703 ई. में सिंहगढ़ पर अधिकार किया, परंतु मराठा कुल की वीरांगना ताराबाई विषम परिस्थितियों में बिना विचलित हुए मराठा सेना में जोश का संचार करती हुई मुगल सेना से जीवन के अंतिम समय तक संघर्ष करती रही।
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IMPORTANT QNA -
प्रश्न 1- मराठा साम्राज्य के संस्थापक कौन थे?
उत्तर - मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी राजे भोंसले(छत्रपति शिवाजी) थे।
प्रश्न 2- छत्रपति शिवाजी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -शिवाजी राजे भोंसले(छत्रपति शिवाजी)का जन्म 1627 ई. में पुणे के उत्तर में स्थित जुन्नार नगर के समीप शिवनेर नामक स्थान पर हुआ था। इनकी माता जी का नाम जीजाबाई तथा पिता जी का नाम शाहजी भोंसले था।
प्रश्न 3- मराठा लोगों को क्या कहा जाता है?
उत्तर - मराठा लोगों को महरट्टा या महरट्टी भी कहा जाता है।
प्रश्न 4- अष्टप्रधान व्यवस्था किसके द्वारा स्थापित की गई थी?
उत्तर - अष्टप्रधान योजना शिवाजी राजे भोंसले (छत्रपति शिवाजी) द्वारा स्थापित की गई थी।
प्रश्न 5- प्रमुख मराठा शासक किन्हें माना जाता है?
उत्तर - शिवाजी राजे भोंसले (छत्रपति शिवाजी) को प्रमुख मराठा शासक माना जाता है। इसके अलावा पेशवा बाजीराव प्रथम भी एक कुशल मराठा शासक थे।
प्रश्न 6- छत्रपति शिवाजी की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर - छत्रपति शिवाजी की मृत्यु 1680 ई.में हुई थी।
प्रश्न 7- शिवाजी को छत्रपति की उपाधि कब मिली थी ?
उत्तर - शिवाजी का 1674 ई. में रायगढ़ के किले में 'छत्रपति' की उपाधि मिली थी।
प्रश्न 8- मराठा साम्राज्य का दूसरा संस्थापक किसे माना जाता है?
उत्तर - कोंकण के 'चित्तयावन वंश' के ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ को मराठा साम्राज्य का दूसरा संस्थापक माना जाता है।
प्रश्न 9- ताराबाई भोंसले किसकी पत्नी थी ?
उत्तर - ताराबाई भोंसले शिवाजी प्रथम के द्वितीय पुत्र राजाराम की पत्नी थी।
प्रश्न 10- छत्रपति शिवाजी के संरक्षक और शिक्षक कौन थे?
उत्तर - शिवाजी के संरक्षक और शिक्षक कोंडदेव तथा समर्थ गुरु रामदास थे।
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