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भारत में जल संसाधन

  • किसी भी देश की समस्त संपत्तियों में जल संसाधन का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
  • भारत में प्रतिवर्ष 4000 घन किमी वर्षा प्राप्त होती है।
  • भारत में वर्षा का वितरण विभिन्न स्थानों पर परिवर्तनशील होता है; उदाहरण के लिए चेरापूंजी (मेघालय) के निकट मासिनराम में वर्षा पूरे विश्व में सर्वाधिक होने का रिकॉर्ड रखती है, परंतु वर्षा के महीनों को छोड़कर अन्य समय में जल की किल्लत प्रायः प्रत्येक वर्ष बनी रहती है।
  • देश में अंतर्देशीय जल संसाधनों का व्यापक जाल फैला हुआ है, जिनमें बंदरगाहों की अवस्थिति भी है।
  • भारत के जल संसाधन यहां की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और भारतीय कृषि काफी हद तक वर्षा जल पर निर्भर रहती है।
  • सिंचित क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा नलकूपों द्वारा होता है,और भारत विश्व का सबसे बड़ा भू-जल उपयोगकर्ता देश भी है।
  • भारत में वर्षा की मात्रा बहुत कम है, किंतु यह वर्षा वर्ष के 12 महीनों में न होकर एक ऋतु विशेष में होती है, जिससे वर्षा का अधिक जल बिना किसी उपयोग के बह जाता है।

∆धरातलीय और भूमिगत जल -

  • भारत में जल संसाधन की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर आम जन-जीवन तथा संस्कृति से जुड़ी हुई है, परंतु जहां इनकी प्रचुरता से एक संसाधन युक्त देश की कल्पना मन मस्तिष्क में आती है, तो वहीं इनके वितरण में पर्याप्त असमानता भी मौजूद है।
  • एक अध्ययन के अनुसार भारत में 71% जल संसाधन की मात्रा देश के 36% क्षेत्रफल तक सिमटी हुई है, और 64% बाकी क्षेत्रफल के आसपास देश के 29% जल-संसाधन ही उपलब्ध है। फिर भी कुल आंकड़ों को देखने पर देश में पानी की मांग की अभी पूर्ति होती नहीं दिख रही है।
  • एक अध्ययन के मुताबिक कुल जल की उपलब्धता 654 बिलियन क्यूबिक मीटर थी और तत्कालीन कुल मांग 634 बिलियन क्यूबिक मीटर है।
  • साथ ही कई अध्ययनों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि निकट भविष्य में मांग और पूर्ति के बीच का अंतर चिंताजनक रूप ले सकता है।
  • क्षेत्रीय आधार पर वितरण को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो समस्या और बढ़ेगी।
  • सतही जल में भारत में 12 नदियों को प्रमुख रूप से वर्गीकृत किया गया है, जिनका कुल जल ग्रहण क्षेत्र 252.8 मिलियन हेक्टेयर है, जिसमें गंगा, ब्रह्मापुत्र तथा मेघना सबसे वृहद है।
  • अन्य सतही जल में झीलें, ताल, पोखरें और तालाब आते हैं।

∆तटीय नदियाँ -

  • भारत में तटीय नदियों को मुख्य रूप से उन क्षेत्रों द्वारा जाना जाता है, जो समुद्र के निकट होती हैं।
  • तटीय नदियों के माध्यम से भारत के तटीय क्षेत्रों के बारे में जाना जाता है, यह क्षेत्र भारतीय राज्यों को बंगाल की खाड़ी,अरब सागर तथा हिंद महासागर से जोड़ती है। यह राज्य हैं- क्रमशः पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात।
  • तटीय नदियाँ, जिन्हें धाराओं के रूप में प्रायः जाना जाता है विशेषकर पश्चिम तट पर जो लंबाई में छोटी,जल्द विलीन होने वाली तथा कम जलग्रहण क्षमता वाली होती हैं।
  • यहां यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि इन राज्यों में ज्यादातर मौसमी वर्षा का अभाव पाया जाता है।
  • यह प्रायः शुष्क और कँटीले वनस्पति वाले होते हैं। इन क्षेत्रों में ऐसी नदियाँ भी हैं, जो अस्थाई हैं तथा दूरी में अत्यंत संक्षिप्त हैं।
  • पश्चिमी तट पर ऐसी 600 नदियाँ हैं, जो ज्यादातर बिना नाम के बहती हैं, जबकि पूर्वी किनारे पर डेल्टा बनाने वाली नदियां पाई जाती हैं।

∆हिमालय की नदियाँ -

  • हिमालय श्रेणी की प्रमुख नदियों में सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मापुत्र हैं।
  • यह नदियाँ हिमालय क्षेत्र के बर्फ से तथा वर्षा जल द्वारा परिपूर्ण होती हैं, इस कारण यह बारहमासी नदियाँ हैं।
  • हिमालयी नदियाँ समुद्र में अपने प्रवाह का लगभग 70% निर्वहन करती हैं।
  • अन्य नदियां जो हिमालयी श्रेणियों में अपनी उत्पत्ति क्रम को दर्शाती हैं, उनमें सतलज, चिनाब, व्यास, रवि, झेलम यमुना तथा स्पीती हैं।
  • हिमालई नदियों में बड़े बेसिन हैं। उनमें से कई गार्ज बनाते हैं। वे प्रकृति में बारहमासी हैं।
  • दक्षिण-पश्चिम में बरसात के मौसम में तीव्र वर्षा भारत में ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों के तटों पर होती है। जिसके कारण अक्सर सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।
  • इस तथ्य के बावजूद कि ये नदियाँ धान के किसानों के लिए उत्पादन तथा आपूर्ति के मूल स्वरूप में काम करती हैं, फिर भी यह आम जनजीवन को विस्थापन के लिए भी मजबूर करती हैं।

∆प्रायद्वीपीय नदियाँ -

  • प्रायद्वीपीय भारत में मुख्य जल विभाजक का निर्माण पश्चिमी घाट द्वारा होता है। जो पश्चिमी तट के निकट उत्तर से दक्षिण की ओर स्थित है।
  • प्रायद्वीपीय भाग की अधिकतर मुख्य नदियाँ; जैसे - महानदी, गोदावरी, कृष्णा, तथा कावेरी पूर्व की ओर बहती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
  • यह नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं। नर्मदा तथा ताप्ती ऐसी दो ही बड़ी नदियाँ है जो पश्चिम की ओर बहती है और ज्वार नदमुख का निर्माण करती हैं।
  • प्रायद्वीपीय नदियों की अपवाह, द्रोणियाँ अपेक्षाकृत छोटी होती हैं।
  • प्रायद्वीपीय नदियों में प्रमुख रूप से नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा तथा कावेरी आदि हैं।

∆अंतर्देशीय नदी तंत्र -

  • पश्चिमी राजस्थान में केंद्रित अंतर्देशीय प्रणाली के अंतर्गत नदियाँ कम पाई जाती हैं तथा कम वर्षा से लुप्त भी हो जाती हैं।
  • यद्यपि भारत में पानी के कई जलाशय हैं, किंतु आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं।

∆विशेष तथ्य -

  • टोंस नदी, यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • हीराकुंड बाँध, विश्व का सबसे बड़ा मिट्टी से बना बांध है जो महानदी पर स्थित है।
  • नागार्जुन सागर बाँध, विश्व का सबसे बड़ा है चिनाई किया हुआ बाँध है, जो कृष्णा नदी पर स्थित है।
  • कावेरी नदी पर मेंतूर बाँध है, जो भारत का सबसे पुराना बाँध माना जाता है इसका निर्माण वर्ष 1934 में हुआ था।
  • गोदावरी नदी भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
  • सरदार सरोवर बाँध नर्मदा नदी पर स्थित है।
  • गंगा नदी को बांग्लादेश में पदमा के नाम से जाना जाता है।