जल परिसंचरण, जो भारत की सीमा बनाते हैं - GkAnywhere
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◆ जल परिसंचरण ◆
भारत की सीमा बनाने वाले
निम्नलिखित नदी तंत्र, जो भारत की सीमा बनाते हैं।
● पश्चिम में अरब सागर -
- भारत की सीमा पर स्थित हिंद महासागर के उत्तर-पश्चिम में स्थित अरब सागर भारत की पश्चिमी सीमा बनाता है।
- अदन की खाड़ी, लाल सागर द्वारा विस्तारित और ओमान की खाड़ी, फारस की खाड़ी द्वारा विस्तारित आदि इसके मुख्य भाग हैं।
- सिंधु नदी अरब सागर में गिरने वाली सबसे बड़ी धारा है।
● दक्षिण पश्चिम में लक्षद्वीप सागर -
- लक्षद्वीप सागर में यह भारत की सीमा, मालदीव श्रीलंका को जोड़ती है।
- यह कर्नाटक के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और यह केरल के पश्चिम तथा तमिलनाडु के दक्षिण में स्थित है।
● पूर्व में बंगाल की खाड़ी -
- यह भारत की पूर्वी तटीय सीमा से लगी हुई तथा इसका क्षेत्रफल 839 हजार वर्ग मील की सीमा बनाती है।
- यह श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार उत्तरी भाग में, मलय प्रायद्वीप को पूर्व में जोड़ता है।
- इसकी गहराई 15400 फीट है।
- भारत में बहने वाली नदियां महानदी, गोदावरी, कृष्णा,और कावेरी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- अंडमान निकोबार द्वीप समूह, इस खाड़ी में स्थित एकमात्र द्वीप है, जो अंडमान सागर से अलग होता हैं।
● दक्षिण में हिंद महासागर -
- हिंद महासागर विश्व के क्षेत्रफल की दृष्टि से तीसरा सबसे बड़ा महासागर है।
- इसका क्षेत्रफल 28350 हजार वर्ग मील है तथा यह पूरी पृथ्वी के 1/5 भाग को घेरे हुए हैं।
- 18 एशियाई देशों 16 अफ्रीकी देशों और 57 द्वीपो को हिंद महासागर जोड़ता है।
- हिंद महासागर विश्व के महासागरों में सबसे गर्म है और इस कारण से इस में समुद्री जीवन की संभावना काफी कम पाई जाती है।
- अपनी प्राकृतिक स्वरूपों में तथा इसके विभिन्न रूपों में जल की उपस्थिति, भौतिक पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक वातावरण की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- शहरों और कस्बों के विकास और विस्तार की प्रक्रियाओं के दौरान योजनाकरो और संरक्षण कर्मियों द्वारा जल संसाधनों को उत्तरदायित्व रूपी बाधा की तरह देखा जाता है।
- विकास की परियोजनाएं प्राय: जल निकायों के संरक्षण को अनदेखा करती हैं और उन्हें विकास की दूसरी धारा के रूप में लेती हैं।
- इसलिए शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण, तथा इनका परिवर्तित स्वरूप सकारात्मक संदर्भ में ध्यान देने योग्य है।
- एके क्षेत्र के टिकाऊ विकास में योगदान देने वाला कारक जल निकाय ही है।
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